Saturday, August 18, 2012

:)


मुझे हमेशा लगता था की तुम अपनी चीज़ें किसी को देना पसंद नहीं करती हो. लेकिन तुम में कुछ बदलाव आने लगा है.

हम अपने नए  घर में आ गए  और वहां तुम्हारा अपना एक कमरा है जिसमे तुम्हारे खिलोने हैं और सिर्फ तुम्हारा ही सामन है।
पहले ही दिन कुछ मेहमान आये उनमे से दो तुम्हारे हम उम्र थे. तुम उनसे पहली बार मिले थे। तुमने सब को अपने कमरे में बुलाया और अपना सब कुछ उनके साथ मिल कर खेला।


ये देख कर मुझे याद आया
कोई कमज़ोर किसी पहलवान से ये नहीं कह सकता की उसने पहलवान को माफ़ किया , उसके लिए कमज़ोर को पहले पहलवान बनना पड़ेगा।

कोई किसी  को  तभी कुछ दे सकता है जब उसके पास अपना कुछ हो।








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